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GREEN THUMB

खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन

मृदा संरक्षण से राष्ट्र निर्माण की पथदर्शी परियोजना

ग्रीन थंब में आपका स्वागत है

करिब पचास लाख जनसंख्या वाले पुणे महानगर को शहर के नजदीक बने खडकवासला बांध से पिने का पानी उपलब्ध होता है| करीब डेढ़ सौ साल पहले बनाया यह बांध आज करीब 60 फीसदी सिल्ट (मिट्टी) से भरा है| खडकवासला बांध की मुल जलधारण क्षमता चार टीएमसी है परंतु बांध मिट्टी से भरे होणे के कारण बांध की क्षमता केवल 1.7 टीएमसी तक सिकुड़ गई है| इससे  हर साल, मार्च महिना आते ही पुणे शहर पर जलसंकट मंडराने लगता है| पानी की सप्लाई में कटौती करना, टैंकर व्दारा पानी की सप्लाई करना जैसे कई अस्थाई उपाय हर साल किए जाते है| मगर साल दर साल गंभीर होते जाते इस संकट का मूल कारण खडकवासला बांध की सिकुड़ी हुई जलधारण क्षमता में छिपा है| खडकवासला बांध में जमी हुई मिट्टी निकालकर बांध की मूल जलधारण क्षमता स्थापित करना यही इस समस्या का स्थाई समाधान है| परन्तु इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हो पाया| 

पुणे शहर पर मंडराते जलसंकट का स्थाई समाधान देने के लिए खडकवासला बांध सिल्ट से मुक्त करने का बीड़ा ग्रीन थम्ब ने उठाया| इसके लिए ग्रीन थंब ने खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन अभियान की शुरुवात की|यांत्रिक औजारों से बांध में जमी हुई  मिटटी निकालना यह इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था| यह अभियान समस्त पुणे वासियों का था इसलिए अभियान का मुख्य आधार जनसहभागिता ही था| साथ ही शहर में कार्यरत कई सेवाभावी संस्थाओं का संगठन भी किया गया|

वर्ष २०१२ में ग्रीन थंब ने खडकवासला बांध मिट्टी से मुक्त करने का काम शुरू किया| पुणे वासियोक का सक्रीय सहभाग और कई सेवाभावी संस्थाओं, सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलियो की सहायता से अभियान ने शीघ्र ही गती धारण की| भारतीय सेना की दक्षिण कमान (सदर्न कमांड) ने भी अभियान में अपना पूरा सहयोग दिया| सेना के विशेष यांत्रिक औजार, तकनीक और कई जवान परियोजना पर अपना योगदान देते रहें| 

यह एक महाकाय परियोजना है| पिछले छह सालों में ग्रीन थम्ब व्दारा संचालित ‘खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन अभियान ने सफलता की पहली सीढी पार की है| 

खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन अभियान, २०१२ से आज तक...

लाख ट्रक मिट्टी निकाली गई

खडकवासला बांध से आजतक दस लाख से भी अधिक ट्रक भर मिटटी निकाली गई है 

दिनों की जल उपलब्धता

पचास लाख जनसँसंख्या वाले पुणे महानगर के लिए 15 दिनों का अतिरिक्त पेयजल उपलब्ध हुआ   

लाख पेड़ लगाए गए

मिट्टी फिर से बांध में न आए इसलिए 10 लाख पेड़ बांध क्षेत्र में लगाए गए 

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 खडकवासला जाकर इस परियोजना का कार्य मैंने स्वयं देखा है| इस परियोजना की व्यापकता और प्रभाव विशाल है| जलशक्ती और मृदा संरक्षण ही भविष्य के वित्तीय क्रांति के बीज है| इस तरह की परियोजनाएं पुरे देश में मुझे कार्यान्वित करनी है|

मा. .श्री नितीनजी गडकरी 

जलसंसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण  सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार

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परियोजना का लक्ष्य

खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना का उद्देश्य केवल बांध में जमी मिट्टी निकालने तक ही सिमित नहीं है| इस परियोजना के कई मायने है, जिससे खडकवासला बांध तथा बांध क्षेत्र का बहुआयामी चिरंतन विकास करना है| खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना के लिए ग्रीन थंब ने यह प्रमुख उद्देश्य निश्चित किए है| 

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 खडकवासला बांध की 4 TMC मूल जलधारण
क्षमता पुनः स्थापित करना 

मिट्टी फिर बांध में ना आए इसलिए बांध क्षेत्र में 50 लाख पेड़ लगाना 

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बांध से निकाली हुई मिट्टी (काला सोना) किसानों को मुफ्त में देना, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना 

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 खडकवासला बांध क्षेत्र में  प्राकृतिक परिसंस्था को पुनः स्थापित करना 

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 खडकवासला बांध प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना  

बांध क्षेत्र में किसान, महिला एवम् युवाओं का सामाजिक, आर्थिक सक्षमीकरण 

खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना पर 2012 से कार्य चल रहा है| 2018 तक जो काम यहाँ हुआ है उससे परियोजना की यशस्विता और उपयुक्तता हर स्तर पर सिद्ध हुई है| इस तरह की परियोजनाएं पुरे देश में चलाने की दिशा में प्रयास भी किए जा रहे हैं|

सहयोगी संस्थाएं

सहभागी सार्वजनिक गणेश मंडल

महाराष्ट्र के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में गणेशोत्सव का महत्वपूर्ण स्थान है| सार्वजनिक गणेशोत्सव का संयोजन करने वाले गणेश मंडल सालभर कई सामाजिक उपक्रम चलाते हैं| ग्रीन थंब संचालित ‘खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना’ में भी इन सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलियोंका महत्वपूर्ण योगदान मिलाता आ रहा है| 

  • अखिल मंंडई मंडल 
  • तुलसीबाग मित्र मंडल 
  • साखलीपीर गणपती मंडल
  • साईनाथ मंडल 
  • हिंदू तरुण मंडल 
  • ११ मारुती कोपरा मंडल 
  • सुवर्णयुग तरुण मंडल 
  • आदर्श मित्र मंडल 
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देश के सभी बांधों का पुनरुज्जीवन आवश्यक क्यों है?

भारत को आधुनिक और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पानी की भूमिका एक अहम्  ग्रोथ इंजन है| औद्योगीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और कृषि के लिए पानी की मांग दिन ब दिन बढ़ती जा रही है|  देश की लगातार बढती हुई जनसंख्या, फैलते जाते शहर, इन जैसे कई कारणों से  देश के जलसंसाधनों पर काफी दबाव है|  देश में पानी के बढती मांग की आपूर्ति करने के लिए नए बांध बनवाना काफी खर्चीला और भूमि अधिग्रहण जैसी कई  समस्याओं से भरा मार्ग है| इसके विपरीत देश के सभी बांधों को मिट्टी से मुक्त किया गया तो देश के जलसंसाधनों की वृद्धी कम से कम लागत में की जा सकती है|

आएं, साथ मिलकर जलयुक्त और सुखामुक्त भविष्य बनाएँ

जल संधारण और मृदा संरक्षण भारत के शाश्वत विकास की जड़ है| ग्रीन थंब व्दारा शुरू किए गए इस अभियान में सहयोग देंने के लिए, अभियान से जुड़ने के लिए हम आपको आमंत्रित करते हैं|