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GREEN THUMB

जनसहभागीता से खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन

जल और मृदा संरक्षण से होगी हरितक्रांती

देश में होगी अर्थक्रांती ​

खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना की यशस्विता एक दृष्टिक्षेप में

  • मार्च 2018 तक कुल 15 किलोमीटर लम्बाई, 100 मीटर चौड़ाई और औसतन 1.50 मीटर गहराई वाले क्षेत्र की मिट्टी निकाली गई|
  • निकाली गई मिट्टी की घनता: 75 लाख क्यूबिक मीटर्स (करीब दस लाख ट्रक लोड)
  • बांध की जलधारण क्षमता 0.20 टी एम् सी बढ़ गई 
  • पचास लाख जनसंख्या वाले पुणे शहर के लिए 15 दिन का जल उपलब्ध हुआ
  •  दस लाख पेड़ लगाए गए 
  • परियोजना पर आज तक की लागत : 4 करोड़ रुपये 
  • केवल जनसहभागिता और संस्थाओं व्दारा दी गयी सहायता से पूरा काम हुआ, सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता नहीं ली गई
  • एक घन मीटर मिट्टी निकालने के लिए किया गया खर्च: 15 रुपये (सिंचाई विभाग व्दारा अनुमानित खर्च 100 रुपये प्रति घन मीटर)
  • नए बांध बनाने पर एक टी एम् सी पानी के लिए अनुमानित लागत 5000 करोड़ रुपये. 
  • ग्रीन थंब संचालित खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना में एक टी एम् सी जलधारण क्षमता स्थापित करने की लागत केवल 20 करोड़ रुपये 

पानी जीवन का मुख्य आधार है| केवल सजीव ही नहीं बल्कि पानी हमारे अस्तित्व और विकास की जड़ है| कृषि, विभिन्न प्रकार की इंडस्ट्रीज, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस और भवन निर्माण पानी के बगैर संभव ही नहीं है|

पुणे शहर को चार बांधों से पिने का पानी मिलता है खडकवासला उनमें से एक है|करीब डेढ़ सौ साल पहले बनाया यह बांध आज करीब 60 फीसदी सिल्ट से भरा था| बांध की जलधारण क्षमता 3.79 टी एम् सी है मगर आधे से भी अधिक मिट्टी से भरे होने के कारण बांध की क्षमता केवल 1.70 टी एम्  सी ही बची थी|बांध के किनारों पर कई जगहों पर अतिक्रमण भी हुआ था| 

हर साल मार्च महिना आते ही पिने के पानी के सप्लाई में कटौती, टैंकर से पानी की सप्लाई जैसे अस्थाई उपाय किए जाते है| हर साल पुणे शहर और आसपास के गावों पर, खेती और मवेशियों पर मंडराते जलसंकट का स्थाई समाधान देने के लिए खडकवासला बांध मिट्टी (सिल्ट) से मुक्त कराने का बीड़ा ग्रीन थम्ब ने उठाया| किसी स्वयंसेवी संस्था व्दारा किया जाने वाला संभवतः भारत का यह पहला प्रयोग था| कईयों के मन में इसकी यशस्विता को लेकर आशंकाएं जरुर उत्पन्न हुई होगी| 

बांध क्षेत्र में 44 किलोमीटर क्षेत्र से मिट्टी निकलना, उस मिट्टी अर्थात काले सोने को किसानों में मुफ्त बांटना, बांध में पुनः मिट्टी न आए इसलिए 50 लाख पेड़ 44 किलोमीटर क्षेत्र में लगाना, बांध क्षेत्र में विचलित हुई जैविक परिसंस्था स्थापित होने के लिए पोषक वातावरण की निर्मिती करना और इन सभी उपायों से क्षेत्र के किसान, महिलाओं का सक्षमीकरण करना यह उद्देश्य ग्रीन थंब ने रखे थे|

साल 2012 में इस परियोजना पर काम शुरू हुआ|प्रारंभ में भारतीय सेना के दक्षिणी मुख्यालय  (सदर्न कमांड) व्दारा उपलब्ध कराए उन्नत यंत्रसामग्री, तकनीक और जवानों की सहयता से पहले एक साल में एक लाख ट्रक मिट्टी बांध से निकाली गई|भारतीय सेना इस अभियान में सैन्य अभ्यास के तौर पर कार्यरत रही| इससे इस परियोजना को समाचार पत्रों और न्यूज चैनलोंनें घर-घर तक पहुँचाया| नागरिक और अन्य संस्थाएं स्वयंप्रेरणा से अभियान के साथ जुड़ने लगे| 

अभियान की उपयुक्तता, और भारतीय सेना ने बढाया हुआ सहायता का पहला हाथ देखकर अल्पावधि में ही कई संस्थाएं परियोजना के साथ जुड़ गई| जिनमें मुख्यतः आर एम् डी फाउंडेशन, कमिन्स इण्डिया फाउंडेशन, एस के एफ, टाटा मोटर्स, वुडवर्ड्, बी एम् सी सॉफ्टवेयर, प्राज इण्डिया फाउंडेशन, रोटरी इंटरनेशनल, अमनोरा फाउंडेशन, सुमंत मुलगांवकर फाउंडेशन, लायंस क्लब, बडवे इन्जिनिअर्स जैसे कई प्रतिष्ठित नाम शामिल थे|

पुणे शहर के सुप्रसिद्ध सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों ने अपना सशक्त योगदान खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना में दिया| नागरिकों के मन में पूज्य भाव रखनेवाले इन गणेशोत्सव मंडलों के सहभाग से आम नागरिक ग्रीन थंब के साथ शीघ्र जुड़ गए|     

महाराष्ट्र शासन का सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, वन विभाग, पुलिस विभाग, पुणे महानगर पालिका, पिंपरी चिंचवड महानगर पालिका, पुणे विश्वविद्यालय जैसी सरकारी संस्थाएं भी परियोजना के साथ जुड़ गई| इनका अनमोल मार्गदर्शन ग्रीन थंब को निरंतर मिलता आया है|

बांध से निकाली मिट्टी काले सोने जैसे थी| इस में प्राकृतिक खाद जैसे गुण थे| प्राकृतिक जैविक खेती करने के लिए यह मिट्टी काफी उपयुक्त थी| इसे बांध क्षेत्र के किसानों को मुफ्त में बांटा जा रहा है| रासायनिक खाद की आसमान छूती कीमतें, उनसे जमीन और पर्यावरण को होनेवाली हानी और घटती पैदावार इन समस्याओं पर यह काला सोना काफी गुणकारी सिद्ध हुआ| किसानों की पैदावार करीब दुगनी हुई, किसानों ने प्राकृतिक जैविक पद्धति से खेती करना शुरू किया, जिससे किसान  पोषण तत्वों से भरपूर, विषमुक्त कृषि उत्पाद लेने लगे| 

खडकवासला बांध से निकाला गया काला सोना

बांध से निकाली गई मिट्टी बारिश के पानी से फिर से बांध में ना आएं इसलिए बांध के किनारे पर 44 किलोमीटर क्षेत्र में पचास लाख पेड़ लगाने का प्रावधान इस परियोजना में किया गया है| सहभागी संस्थाओं के कर्मचारी, उनके परिवार यहाँ आकर वृक्षारोपण  करते हैं| जन्मदिन, किसी महापुरुषों के दिनविशेष, राष्ट्रीय महत्त्व के दिन इन अवसरोपर यहाँ वृक्षारोपण करने के लिए नागरिक समूह अक्सर आते हैं| पुणे शहर के महाविद्यालयीन विद्यार्थी बड़ी संख्या में अपने अध्यापकों के साथ वृक्ष लगाने और श्रमदान करने यहाँ आते हैं| बांध क्षेत्र में बाम्बू और स्थानीय प्रजातियों के वृक्ष लगाए जाते हैं| इन सभी प्रयासों के फलस्वरूप अब तक बांध क्षेत्र में दस लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं| 

बड़ी मात्रा में और सुनियोजित पद्धति से लगाए गए वृक्षों से खडकवासला परिसर सुशोभित हुआ है| विभिन्न प्रजातियों के पक्षीयों की मधुर किलकारियों से परिसर गूंज रहा है| साथ ही मधुमक्खियों, भ्रमरों, तितलियों की संख्या यहाँ बढ़ रही है| इससे बांध क्षेत्र के किसानों को परागीकारण से पैदावार बढ़ने का फायदा हो रहा है| 

बढ़ा हुआ जलस्तर और बड़ी संख्या में लगाए गए वृक्षों से खडकवासला बांध क्षेत्र प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है| यहाँ पर्यटकों के लिए कमिन्स हट, प्राज हट, नेचर्स ट्रेल्स, बर्ड व्ह्यु पॉइंट्स बनाए गए है| जिससे पर्यटक यहाँ परिवार के साथ आते है| कम समय में खडकवासला क्षेत्र का बदला हुआ रूप और अनुभव सभी के लिए संतोष का विषय बना है| 

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पिछले पांच सालो से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है| इन पांच सालों में पचास लाख आबादी वाले पुणे शहर के लिए 15 दिनों की जलआपूर्ति बहाल करने का काम पूरा हुआ है| अगले दो सालो में इसे दुगना करने का निर्धार ग्रीन थम्ब ने किया है| पानी के सम्बन्ध में आज आपातकाल जैसे लगाने वाले गर्मी के दिनों में भी पुणे शहर को पिने का पर्याप्त पानी मिल सकेगा| इस परियोजना की सभी स्तरों पर सराहना हुयी| तत्कालीन केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारतीजी, केंदीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरीज़ी भूतपूर्व कृषिमंत्री श्री शरद पवारजी जैसे कई गणमान्य नेता खडकवासला बांध पर आए और ग्रीन थम्ब व्दारा संचालित परियोजना को सराहा|

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केन्द्रीय मंत्री श्री नितिनजी गडकरी खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना पर
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भूतपूर्व केन्द्रीय कृषिमंत्री श्री शरदजी पवार खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन परियोजना पर

बढ़ती आबादी, कृषि, उद्योगों के लिए पानी की मांग दिन ब दिन बढती जा रही है| इसकी आपूर्ति करने के लिए ग्रीन थम्ब व्दारा चलाए जा रही खडकवासला बांध पुनरुज्जीवन अभियान जैसी परियोजनाएं देश के सभी पांच हजार बंधों पर चलाना आवश्यक है| अगर देश के सभी बांध अपनी पूरी क्षमता से पानी रोक पाने में सक्षम हो गए तो नए, खर्चीले बांध बनाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी| देश के सभी बांध खडकवासला बांध की तरह गाद-मिट्टी से मुक्त कराए गए तो देश के लिए अच्छे दिन अपने आप ही आएंगे|